दुर्गा अष्टमी के दिन मिली झाड़ियां में नवजात शिशु,
हमारे देश में बेटियों को लेकर अनेक कानून बनाए गए हैं लेकिन जमीनी स्तर पर जब उसको लागू करने की बात आती है तो कानून वहीं पर लंगड़ा और अंधा हो जाता है सही अर्थों में कहा जाए तो इस धरती पर लड़कियों के साथ बहुत ही ज्यादा अन्याय हो रहा है और अगर सरकार और नियम कानून इसके प्रति लड़कियों के प्रति हो रहे अपराधों के लिए सख्त कार्यवाही नहीं करेगी तो यह सब चीज आगे और भी ज्यादा खतरनाक रूप ले सकती हैं तो चलिए हम बात करते हैं कि आखिर हम ऐसा क्यों कह रहे हैं क्योंकि हम अक्सर देखते हैं कि अस्पताल के वॉशरूम में छोटी बच्चियों का पाया जन झाड़ियां में नवजात बच्चियों का पाया जाना एक आम बात सी हो गई है लेकिन यह कब तक चलेगा कब तक लोग बच्चियों को पैदा करके ऐसे ही फेकते रहेंगे.
बता दे की डसना क्षेत्र में एक गांव है जिसका नाम इनायतपुर है इस गांव में रजवाहे के पास झाड़ियां में लावारिस हालत में एक बच्ची की रोने की आवाज आ रही थी जिसको सुनकर वहां के कुछ लोग पहुंचे साथ ही साथ मौके पर स्थानीय पुलिस को सूचना दी गई सूचना मिलते ही नवजात बच्चे का चेकअप कराया गया और उसकी देखभाल भी की जा रही है देखभाल के लिए डसना सीएससी बच्ची को भर्ती कराया गया और बच्ची किसकी है उसके माता-पिता की तलाश की गई लेकिन कोई भी जानकारी प्राप्त नहीं हुई ऐसे में गाजियाबाद के वेब सीरीज थाना क्षेत्र के सिटी की चौकी दूधिया पीपल के पटवारी पुष्पेंद्र चौधरी ने उसे बच्ची को गोद लेने का फैसला किया है उनके इस फैसले से उनकी पत्नी को भी कोई नाराजगी नहीं है क्योंकि इन दोनों दंपतियों की अपनी कोई संतान नहीं है और यह दंपति का मानना है कि दुर्गा अष्टमी के दिन नवजात बच्चे का मिलन इससे बड़ी बात तो कोई हो ही नहीं सकती जहां पर हमारे समाज के कुछ ऐसे लोग हैं जो लड़की पैदा होने पर दुखी और मातम मनाने लगते हैं तो वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं शायद बेटियों के लिए कुछ ऐसे कदम उठा देते हैं जिस पर गर्व महसूस करना चाहिए सभी को. तू वही अब बाल कल्याण समिति का यह मानना है कि बच्ची का सही से मेडिकल चेकअप करवाया जाएगा और बच्चों को सपने से पहले जितनी भी कानूनी प्रक्रियाएं होती हैं उसकी पूरी की जाएगी तब जाकर इस बच्चे को गोद दिया जाएगा.